हर कोई चाहता है की वह खुशहाल जिन्दगी जिये और उसके लिए जो संभव होता है वह करता है परन्तु इस स्रष्टि के रचियता ने भी कुछ नियम बनायें है जिन्हें हम फॉलो करके खुशहाल जिन्दगी जी सकते है। इन्ही सब नियमों को वास्तु शास्त्र (VASTU SHASTRA) में लिखा गया है।
वास्तुशास्त्र (VASTU SHASTRA) हमारी चारों दिशाओं से होने वाले परिवर्तन के बारे में जानकारी देता है। वास्तु के हिसाब से बना हुआ घर, ऑफिस, मंदिर कोई भी चीज हमारे शरीर पर, हमारे वातावरण पर असर डालता है। वास्तु में हर दिशा का अपना खास महत्व होता है। इस विषय में जो चीजें बनाई गई हैं, उसके विपरीत अगर हम कुछ बनाते हैं, तो उससे होने वाली परेशानी भी हमें मिलेगी।
वास्तु शास्त्र (VASTU SHASTRA) को हम वास्तु पुरुष के हिसाब से देखते हैं, जैसे एक पुरुष का सर, हाथ,पेट एवं पैर होते हैं, उसी के हिसाब से वास्तु की दिशाएं निर्धारित की गई है।
किस दिशा में होता है वास्तु पुरुष का सर
सबसे पहले हम वास्तु पुरुष का मस्तक जानेगे। पूर्वोत्तर दिशा वास्तु (VASTU) पुरुष का मस्तक होता है। यदि आप कभी कोई प्लाट का भूमि पूजन करवाएं या नींव का पूजन करा रहे हैं तो हमेशा नॉर्थ ईस्ट में करें, यह वास्तु पुरुष का मस्तक है।
उत्तर तथा पूर्व में वास्तु पुरुष के मस्तक, आंख, दिल आदि होते हैं, इसीलिए इसे हल्का तथा साफ रखा जाता है।
किस दिशा में होता है वास्तु पुरुष के पैर
दक्षिण पश्चिम दिशा में वास्तु पुरुष के चरण या पैर आते हैं। इसलिए इस दिशा में मास्टर बैडरूम बनाया जाता है तथा इस दिशा को भारी सामान से सजाया जा सकता है। इस तरह वास्तु पुरुष प्रसन्न होते हैं और आपके जीवन में स्टेबिलिटी आती है।
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वास्तु शास्त्र (VASTU SHASTRA) में खुशहाली के 10 नियम, जिनके द्वारा आप खुशहाल जिन्दगी जी सकते है
- घर का मंदिर हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा या पूर्वोत्तर दिशा में होना चाहिए। मंदिर में शंख जरूर रखे। शंख में विष्णु भगवान का वास होता है। ये घर में सदा खुशियां भर के रखता है।
- वास्तु (VASTU) पुरुष घर में हमेशा तथास्तु कहते हैं। इसलिए हमेशा अच्छा बोले, तो वैसा ही होगा।
- घर का मध्य वास्तु पुरुष का सीना और पेट होता है इसलिए घर के मध्य को हमेशा साफ रखें और यहां पर तेज लाइट का प्रयोग करें।
- उत्तर दिशा में जल तत्व होता है इसलिए आप पानी से रिलेटेड कोई भी चीज इस दिशा में बनवाएं। जैसे आपको पानी की समर लगवानी है। तो यह सब आप उत्तर दिशा में करवा सकते हैं इसके अलावा नल भी इस दिशा में ही लगवाएं, इससे धन का आगमन ज्यादा होता है।
- पूर्व दिशा में भगवान रखने चाहिए। हमारा मुंह पूर्व की दिशा में हो और हमारी पीठ पश्चिम दिशा में हो, इस तरह बैठकर हमें पूजा करनी चाहिए। आपके घर के मंदिर में एक कलश में जल अवश्य भरा होना चाहिए। यह आपके घर में शुभता लाता है।
- जैसा कि बिदित है कि पूर्व दिशा वास्तु (VASTU) पुरुष का मस्तक होता है इसलिए हमेशा इसको बहुत साफ सुथरा रखना चाहिए और इसीलिए पूर्व दिशा पूजा करने के लिए सबसे उत्तम दिशा मानी गई है।
- उत्तर दिशा में मुंह करके खाना नहीं बनाना चाहिए। इसकी वजह से हमेशा धन आकर चला जाता है, कभी रुकता नहीं है। खाना बनाते वक्त आपका चेहरा पूर्व या दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए। पूर्व दिशा में एक शीशा लगाएं, जिसमें गैस का चूल्हा दिखाई पड़े यह आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है।
- अगर आपने ऐसी जमीन ली है जिसके कई सारे लेवल हैं तो आपके घर में कभी भी धन नहीं रुकेगा। इसलिए ऐसी जमीन ले, जिसमें जमीन का लेवल एक बराबर होना चाहिए।
- अगर आप कोई प्लाट खरीदते हैं, तो इस बात का ध्यान दें कि प्लाट का कोई भी कोना कटा नहीं होना चाहिए। इससे वास्तु (VASTU) पुरुष के अंग कटते हैं और आपको हमेशा किसी न किसी प्रकार का नुकसान होता रहेगा और मानसिक तनाव भी रहेगा।
- भगवान का मंदिर बनाने के लिए पूर्व दिशा, पूर्वोत्तर दिशा और उत्तर दिशा सबसे ज्यादा शुभ मानी जाती हैं।
अगर अपने घर को वास्तु (VASTU) के हिसाब से बनवाएं, तो आपके घर में भी तरक्की, सुख, शांति और धन का लाभ रहेगा। वैसे तो वास्तु शास्त्र (VASTU SHASTRA) में हर दिशा का अपना अलग महत्व है, पर सबसे ज्यादा पूर्वोत्तर दिशा को महत्व दिया जाता है, क्योंकि पूर्व दिशा में आध्यात्म के लिए जगह बनी है, इस दिशा में अपने घर के देवी देवता और मंदिर का निर्माण करना चाहिए। इससे हमारे घर के कुछ वास्तु जो ठीक नहीं हो सकते, उसका भी असर कम हो जाता है और उत्तर दिशा को जितना हो सके उतना हल्का रखें।
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वास्तु शास्त्र क्या है ?
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