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Failure Is The Secret Of Success : असफ़लता ही सफ़लता का रहस्य है

असफ़लता (failure) वह है जो जीवन को जीना सिखाती है| इसमें मनुष्य अपनी गलतियों का सुधार करता है, और छोटी बड़ी परेशानियों से लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहेता है| ताकी वह परेशानी उसको असफ़ल प्रतीत होते हुए भी सफ़ल लगने लगे। क्योंकि जब तक मनुष्य सघंर्ष करने को तैयार है तब तक उसे सफल होने से कोई भी नहीं रोक सकता है। एक असफ़ल व्यक्ति ही सफ़लता की खोज करता है। वह चाहता है की सफ़लता उसे चाहे देर से मिले पर असफ़लता (failure) न मिले।

असफ़लता (failure) में सफ़लता है ?

दुनिया में मनुष्य चाहे किसी भी कार्य को करे हर कार्य को करने के लिए उसे थोड़ी सी मेहनत तो करनी पड़ती है। और वह मेहनत भी करता है ताकि वह अपने हर कार्य में सफल हो सके।

हर कार्य ऐसा होता है जिसमे असफ़ल होने की पूरी संभावना रहती है, लेकिन मनुष्य उसे फिर भी सफल कर देता है। क्योंकि उसके दिल से निकली बात उसके दिमाग पर जाकर सीधा असर करती है की उसे इस कार्य को किसी भी हालत में सफल बनाना है, फिर चाहे वह कार्य कितना भी कठिन हो। और उसकी यही सोच उसे असफ़लता (failure) के अंधरे में सफ़लता का उजाला दिखा देती है।

असफ़ल से सफ़ल कैसे बनें ?

कुछ मनुष्य होते है जो अपना सारा जीवन अपने कार्य को सफल बनाने में लगा देते हैं। वह अपने कार्य को एक उच्चस्तर पर पंहुचा देते हैं। यदि किसी कारण उनके कार्य में कोई विपति आ जाती है और उनका कार्य रुक जाता है, तो मेहनत से बनाई हुइ सफ़लता एक पल मे असफ़लता  मे बदल जाती है।

जिस कारण वह खुद को भी एक असफ़ल व्यक्ति समझने लगते हैं। उन्हें लगने लगता है की उनका होनर अब नहीं रहा जो उनके पास पहले था। बस उनकी यही सोच उन्हें गलत बना देती हैं।

यह बात हमेशा याद रखें की अंधरे में बुझा हुआ दीपक भी जल सकता है, बस जरूरत है तो एक चिंगारी की। जब दीपक दुबारा से जल सकता है तो मनुष्य क्यों नहीं दुबारा से सफ़ल हो सकता है। बस मनुष्य को खुद में एक चिंगारी पैदा करनी होगी , वह चिंगारी ऐसी होनी चाहिए की असफलता (failure) भी सामने से आकर घुटने टेककर बोलने लगे, की तुझे असफ़ल बना कर मैंने गलती कर दी। तभी आप एक असफ़ल से सफ़ल व्यक्ति बन पाएगें।

असफ़ल से सफ़ल क्यों नहीं होते है मनुष्य ?

असफल होने के बाद सफ़लता ना प्राप्त करने के भी कुछ निम्नलिखित परिणाम है :

  • कोशिश न करना
  • हार मान लेना
  • होसला तोड़ लेना
  • सयंम न रखना
  • खुद को बार बार कोशना

आदि ऐसे कई कारण है जो मनुष्य को सफल होने से रोकते हैं। इसलिए उसे हमेशा इनसे बचकर एवं सोच समझकर आगे बढ़ना चाहिए।

जिसका कोई लक्ष्य होता है, कोई मंजिल होती है, तो वह अपने रास्ते में आने वाले काटों पर ध्यान नहीं देता है बल्कि उन्हें काटते हुए आगे बढ़ जाता है। तभी वह एक सफ़ल व्यक्ति बन पाता है।

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती , और कोशिश करने वालों की कभी हर नहीं होती

FAQ

प्रश्न : सफ़लता क्या है ?

उत्तर : सफ़लता वह है जिसे मनुष्य अपनी पूरी मेहनत व लगन के बाद पता है।

प्रश्न : असफलता से निराश क्यों नहीं होना चाहिए ?

उत्तर : यदि मनुष्य असफल होने के बाद निराश हो जाता है तो इससे उसका होसला और मन दोनों टूट जातें हैं।

प्रश्न : सफ़लता और असफलता क्या है ?

उत्तर : असफ़लता (failure) वह है जिसमे मनुष्य अपनी गलतियों को सुधरता है , और सफल बनता है।

प्रश्न : असफ़लता सफलता का इस्सा क्यों है ?

उत्तर : असफ़लता (failure) जीवन का सबसे बड़ा शिक्षक है, इसमें मनुष्य अपने चरित्र का निर्माण करता है।

प्रश्न : क्या कोशिश करना और असफल होना बेहतर है ?

उत्तर : यह सीखने, पढने, और सफलता प्राप्त करने में सहायक है।

How To Make Future : भविष्य कैसे बनाऐं

कोई भी अवसर अंतिम नहीं, जानिए असफलता को सफलता में बदलने के टिप्स 

 

 

How To Make Future : भविष्य कैसे बनाऐं

भविष्य (future) आगे कैसा बनाना है, अब इस बात को कोई महत्व नहीं देता है| क्योंकि आज के बदलते समय में लोग अपनी ज़िन्दगी बहुत आराम से जी रहे हैं। उन्हें अपने भविष्य की भी चिंता नहीं है।वह सोचते हैं की जो काम उनके माता पिता करते हैं, वही काम आगे चल कर वो कर लेगें। वे नहीं चाहते हैं की उनका भविष्य (future) उनके माता पिता से भी और अच्छा हो। वो बस इतना चाहते है की उनका वर्तमान सही चलता रहे| भविष्य की वो बाद में सोचेंगे| बस यही कारण है जो लोगो को उनके भविष्य के बारे में सोचने नहीं देता है|

भविष्य बनाने से क्या होगा ?

यदि आज की पीडी अपने भविष्य के बारे में नहीं सोचती है, तो यह उसके लिए सबसे बड़ी चिंता की बात है। भविष्य (future) बनाने को आज के समय में लोगो ने एक मजाक समझ रखा है। जो उनके साथ आगे जाकर खिलवाड़ करता है।

यदि कोई अपने भविष्य के बारे में सोच लेता है, तो वो उस राह पर चलने में सक्षम रहता है। यदि एक बार अच्छा भविष्य बन जाता है तो उसका जीवन सफल हो जाता है। क्योंकि वह दूसरों की तरह भटक नहीं रहा होता है। खुद के पैरों पर खड़े होकर जो चलने में मज़ा आता है, वह किसी और के पैरों पर चलने में नहीं आता है।

भविष्य के बारे में कैसे सोचें ?

यदि कोई बेहतर भविष्य (future) बनाना चाहते है। पर उसे समझ में नहीं आता है की  वह भविष्य में क्या करें।जिस कारण वह थोडा चिंतित रहता है। यदि भविष्य बनाना है तो बहुत ही सावधानी से सोच समझकर काम लेना होगा। इसलिए मनुष्य को पहले स्वयं को देखना होगा की वह भविष्य (future) में किस कार्य के लिए सक्षम होगा।

उसके बाद उसे अपनी खूभियों को ध्यान से देखना चाहिए की उसकी किस कार्य में अच्छी खूभी है। उस खूभी को भी देखकर वह अपना भविष्य (future) बना सकता है। जब उसको लगने लगे की उसने अपने भविष्य के बारे में सोच लिया है तो वह एक बार और सोच ले की उसे पक्का यही करना है। तब फिर वह उस मंजिल को पाने के लिए मेहनत करें। ताकि उसका एक अच्छा एवं सुंदर भविष्य बने।

भविष्य के बारे में नहीं सोचा तो क्या होगा ?

जब कोई इंसान अपने भविष्य के बारे में नहीं सोचता है, तो वह आगे चलकर एक अच्छा भविष्य नहीं देख पता है। कुछ लोगों की आदत होती है की वह अपने भविष्य के बारे में सोचना इसलिए बंद कर देते हैं की वह आगे चलकर सोचेगें की उन्हें भविष्य में क्या करना हैं। अभी जो चल रहा है वह सिर्फ उसी से मतलब रखते हैं।

और यदि भविष्य (future) में कुछ नहीं बन पाए तो नौकरी कर लेंगे। लेकिन वह यह नहीं सोचते की यदि नौकरी नहीं मिली तो वह क्या करेंगे। उनका भविष्य तो वही ख़तम हो जाएगा। इसलिए मनुष्य को हमेशा सोच समझकर कार्य करना चाहिए की आगे भविष्य (future) वह कैसा देखना चाहता है।

मनुष्य हर चीज़ को लेकर कभी भी खिलवाड़ कर ले लेकिन अपने भविष्य को लेकर कभी न करे वरना भविष्य उसके साथ खेलने लग जाएगा।

FAQ

प्रश्न : भविष्य क्या है ?

उत्तर : भविष्य वह काल है जिसे हम आगे चलकर देखने वाले होते है।

प्रश्न : भविष्य कैसे बनाए?

उत्तर : भविष्य बनाने के लिए कुछ निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें :

  1. स्वयं की खूबी देखें
  2. किसी एक कार्य को देखें जिसको आप कर सकते हैं
  3. नई चीजों को सीखें जो आपके भविष्य में काम आ सकती हैं

प्रश्न : भविष्य के बारे में सोचना क्यों है जरूरी ?

उत्तर : यदि हम समय रहते अपने भविष्य के बारे में नहीं सोचते है तो आगे जाकर हम समझ नहीं पाते है की हमे क्या करना चाहिए।

प्रश्न : मनुष्य भविष्य कैसा चाहता है ?

उत्तर : मनुष्य चाहता है की उसका भविष्य इन्द्रधनुष के रंगों की तरह हरा भरा हो,  जिसके रंग कभी भी काले न पड़ें।

Sochne Se Kya Hota Hai : सोचने से क्या होता है ?

Sochne Se Kya Hota Hai : सोचने से क्या होता है ?

सोचने (Sochne) के कारण मनुष्य खुद भी नही जानता है। परंतु वह फिर भी सोचता रहता है। मनुष्य अपने अंदर ही अंदर सोचकर अपने भावों को प्रकट करता है। वह उन बातों को सोचता रहता है, जो उसके साथ वर्तमान में हो रही हैं। सोचते सोचते वह इतना सोच में डूब जाता है की वह धीरे धीरे बडबडाने लगता है।

जिसके बारे में उसको कुछ भी नही पता होता है, कि वह सोचते में क्या कर रहा है। जिस कारण लोग उसे पागल समझने लगते हैं। धीरे धीरे करके वह उसके लिए एक रोग समान बन जाता है। जिसे वह भूलने की कोशिश करता है पर वह कर नहीं पाता है।

Sochne Se Nahi kuchh karke Milti hai Safalata
सोचने से नहीं कुछ करके मिलती है सफलता

हम सोचते क्यों है ?

मनुष्य के जीवन में सोच में आना तो एक स्वभाविक कार्य है। मनुष्य सोचता तभी है जब उसके जीवन में विपतियों का इक्कठा पहाड़ टूट पड़ता है। जब वह कुछ समझ नहीं पता है कि अब वह क्या करे जिस कारण वह सोच में आ जाता है। मनुष्य के पास सोचने (sochne) के अलावा और कोई कार्य नहीं बचता है क्योंकि वह उन परेशानियों के हल निकालने में लगा रहता है। जिस कारण वह किसी भी चीज़ से मतलब नहीं रखता है। वह एक अलग ही दुनिया में खो जाता है। वो दुनिया उसके लिए एक काल्पनिक दुनिया है, जहाँ वह अपने सवालों का हाल निकालने में लगा है|

कुछ कार्य ऐसे होते हैं जिसे मनुष्य करने में अपनी पूरी मेहनत लगाता है, लेकिन किसी कारण वह कार्य सफल नहीं हो पता है तो मनुष्य का दिल टूट जाता है। उसे मायूसी होती है, और वह उसी कार्य के बारे में बार बार सोचने (sochne) लगता है। सोचने (sochne) की विपत्ति मनुष्य के जीवन में तभी आती है जब वह हार जाता है।

हमें ज्यादा क्यों नहीं सोचना चाहिए ?

यदि मनुष्य कुछ ज्यादा ही सोचता है, तो यह उसके लिए एक चिंता का विषय है। क्योंकि जब कोई चीज़ एक सीमा से बाहर हो जाती है तो वह नुकशान दायक बन जाती है। उसकी प्रकार यदि मनुष्य सोचना ज्यादा कर देता है तो वह उसके लिए नुकशान दायक बन जाता है। ज्यादा सोचने (sochne) के कारण वह पागल भी हो सकता है। और उसकी सोचने (sochne) की क्षमता भी कम हो सकती है। यदि वह किसी कार्य को करता है तो उसका मन उस कार्य में नहीं लगता है। जिस कारण उसको अपने कार्य में भी परेशानी आने लगती है।

इसलिए मनुष्य को ज्यादा नहीं सोचना चाहिए ताकि इससे उसके शरीर एवं कार्य को कोई परेशानी न हो।

ज्यादा सोचने (Sochne) के क्या दुष्परिणाम है ?

ज्यादा सोचने (sochne) के भी अधिक दुष्परिणाम है, उनमे से कुछ निम्नलिखित यह है :

  • किसी कार्य में मन न लगना
  • शरीर को हानि होना
  • दिमाग की सोचने (Sochne) की क्षमता कम होना
  • व्यवहार में बदलाव आना

ऐसे कही अधिक दुष्परिणाम है जो मनुष्य को ज्यादा सोचने (Sochne) पर आता हैं।

इसलिए मनुष्य को अपने जीवन में किसी भी परेशानी को इतना नहीं सोचना चाहिए कि वह उसके लिए एक और परेशानी खड़ी कर दे। मनुष्य को सिर्फ उतना सोचना चाहिए जितनी उसको जरूरत है। यदि वह जरूरत से ज्यादा सोचेगा तो वह कुछ भी सही नहीं कर पाएगा।

FAQ

प्रश्न : मनुष्य सोचता क्यों है ?

उत्तर : मनुष्य सोचता तभी है जब कोई परेशानी उसको अंदर से बहुत पीड़ा पहुंचा रही हो|

प्रश्न : सोचने से क्या होता है ?

उत्तर : सोचने (Sochne) से मनुष्य अपने अंदर की पीड़ा को समझने की कोशिश करता है, की आखिर उसे वह क्यों परेशान कर रही है।

प्रश्न : ज्यादा सोचने के क्या दुष्परिणाम है ?

उत्तर :  ज्यादा सोचने के निम्नलिखित दुष्परिणाम है :

  • किसी कार्य में मन न लगना
  • शरीर को हानि होना
  • दिमाग की सोचने की क्षमता कम होना
  • व्यवहार में बदलाव आना

प्रश्न : मनुष्य सोचना कम कैसे करे ?

उत्तर : यदि मनुष्य अधिक सोचता है तो वह अपने आप को किसी कार्य में व्यस्थ रखे ताकि वह अपने आप को सोचने (Sochne) में न डाल सके।

Live Your Life Live Your Dream : अपना जीवन जिओ अपना सपना जिओ

Live Your Life Live Your Dream : अपना जीवन जिओ अपना सपना जिओ

जीवन ( life)  ऐसा जीना चाहिए जिसमे मनुष्य अपने रास्ते खुद तय कर सकें। उसे किसी की सहायता की जरूरत न पड़े। उसके रास्ते में कोई बाधा न डाले, वह जो चाहे वो कर सके। उसे कोई रुकने वाला न हो। जो उसने सपने देख रखे हैं। उन्हें वो साकार करे, और उन सपनों को टूटने न दे।

अपना जीवन (Life) कैसे जिओ ?

अपना जीवन (Life) कैसे जिओ ?
अपना जीवन कैसे जिओ ?

जीवन ( life) जीने के लिए किसी की भी सहायता की जरूरत नहीं होती है। अपना जीवन जीना हर कोई जानता है। उन्हें अपना लक्ष्य पता होता है। जिसे पाने के लिए वह पूरी जी जान से मेहनत करते हैं। ताकि वह उस लक्ष्य को प्राप्त कर सकें, और एक खुशहाल जीवन जी सकें।

लेकिन कुछ लोग होते हैं जो अपना जीवन ( life) एक कैदी के बाती काटते है, जिन्हें कुछ भी नही बोलने दिया जाता है। उनसे यह भी नहीं पूछा जाता कि वह अपना जीवन कैसे जीना चाहते हैं। जिस कारण वह बहुत उदास रहते हैं। लेकिन उदास रहकर कुछ नहीं होता है। यदि वह इस जेल से बाहर निकलना चाहते हैं, तो उन्हें अपनी आवाज उठानी होगी। और अपना जीवन सुन्दर बनाने के लिए कुछ करना पड़ेगा। ताकि वह अपने जीवन को आगे चलकर हरा भरा कर सकें। और अपने जीवन ( life) को खुशहाल बना सकें।

अपना सपना क्यों जिओ ?

हर मनुष्य अपने जीवन ( life) में एक सुन्दर सा सपना देखता है। और वह उन सपनों को और भी सुन्दर बनाने के लिए उनमे थोड़े रंग भरना चाहता है। ताकि वह और भी सुन्दर दिखें। यदि कोई मनुष्य अपने जीवन में एक सपना देखकर उसे साकार करना चाहता है तो कुछ लोग उसे साकार होने नहीं देते है। वह उसके सपने में रंग भरने कि जगह उसमे भंग डाल देते हैं। वह चाहते हैं की जो उसने सपना देखा है वह पूरा न हो,बल्कि जो उन्होंने देखा है वह पूरा हो। यह देखकर उसका सपना एक टूटे शीशे के समान हो जाता है। जिसे वह फिर से जोड़ तो नहीं सकते हैं।

लेकिन उसे फिर से इकट्ठा करने की हिम्मत जरूर कर सकते हैं। ताकि वह सपना फिर से साकार कर सकें। मनुष्य को अपना सोचा हुआ सपना पूरा करना चाहिए, बल्कि जो दूसरे ने सोचा है उसे छोड़कर। हर मनुष्य अपने सपने को पूरा करने के लिए रात दिन एक करना चाहता है। वह चाहता की जो उसने सपना देख रखा है वह एक दिन हक्कित में उसके सामने आकर खड़ा हो जाए। यदि वह सपना एक पल में चूर हो जाता है तो इसका उसे बहुत दुख होता है। इसलिए मनुष्य को अपने सपनो को पूरा करने के लिए थोड़ी तो परेशानी उठानी होगी।

अपने जीवन ( life) को यदि बेहतर रूप में देखना चाहते हो, और चाहते हो की आपके सपने साकार हो तो उसके लिए थोडा तो जागना होगा। यदि आप सोते रहे, तो आपका बेहतर जीवन और आपका सपना एक सपना ही बनकर रहे जाएगा। यदि कुछ सोचा और देखा है तो उसको पूरा करने के लिए मेहनत भी लगती है। यदि आप मेहनत नहीं करेगें तो कभी भी अपने जीवन एवं सपने को साकार नहीं कर पाएगें।

कुछ पाने के लिए थोड़ी परेशानी तो उठानी पड़ती है, उसी प्रकार यदि मनुष्य को अपने जीवन में कुछ पाना है तो उसे थोड़ी परेशानी तो उठानी होगी। यदि कोई आपके जीवन ( life) एवं सपने के बीच में आकर बाधा डालता है तो आपको हिम्मत से काम लेकर उसे बताना चाहिए कि आप अपने जीवन एवं सपने को पूरा करने के लिए पहले से ही लग चुके हैं।

FAQ

प्रश्न : जीवन क्या है ?

उत्तर : जीवन वह है जिसे मनुष्य अपने लिए जीना चाहता है। वह चाहता है की उसका जीवन एक सुन्दर भविष्य बने।

प्रश्न : जीवन अच्छा बनाने के लिए क्या करें ?

उत्तर : हर मनुष्य चाहता है कि उसका जीवन बेहतर बने , बहेतर जीवन बनाने के लिए उसे कठिन परिश्रम करना चाहिए।

प्रश्न : सपना क्या है ?

उत्तर : सपना वह है जिससे मनुष्य अपना उज्जवल भविष्य बनाने कि सोचता है। सपन वह है जो उसके जीवन को हरा भरा करना चाहता है।

Kabhi Hasna Hai Kabhi Rona Hai : कभी हँसना है कभी रोना है

 

Kabhi Hasna Hai Kabhi Rona Hai : कभी हँसना है कभी रोना है

हँसना ( Hasna) और रोना मानव अपने  जीवन में सुख और दुख आने पर करता है क्योंकि भगवान ने उसे सारे जीवों से अलग बनाया है। मानव का जीवन जब सुखी होता है तब वह हँसता है, और जब दुखी होता है तब वह रोता है। हँसना ( Hasna) और रोना तो मानव जीवन का एक खेल है, जो उसके साथ अंत तक रहता है। इसलिए मानव को अपने जीवन में आने वाले सुख दुख को स्वीकार कर जीवन जीना चाहिये

Hasna

मानव हँसता और रोता क्यों है ?

मानव हँसता और रोता क्यों है ?

अधिकतर मानवों के साथ यह होता है, की जब तक उनके जीवन में सुख है उसे किसी भी कार्य में परेशानी नहीं है। तब तक वह अपना जीवन हँसते खेलते गुजारता है। उसे किसी भी तरह कि समस्या नहीं होती है।

लेकिन जब मानव के जीवन में समस्या का पहाड़ अचानक टूट पड़ता है, तुरंत वह रोने लग जाता है। जब उसे लगने लगता है कि उसके हाथ में अब कुछ नहीं रहा है। तब वह भगवान को याद करता है उससे विनती करता है कि उसके जीवन में फिर से सुख आ जाए। इंसान वह प्राणी जो सुख में रोता नहीं है, और दुख में हँसना ( Hasna) नहीं चाहता। यदि इंसान को सुख में थोडा दुख मिल जाता तो वह कभी भी दुखी नहीं रहेता।

कभी कभी हँसना (Hasna) रोना क्यों ?

जैसे खेल में कब क्या हो जाए किसे को पता नहीं रहता, उसी प्रकार मानव के जीवन में उसके साथ कब क्या हो जाए उसे भी पता नहीं रहता। मानव का जीवन एक ऐसे चक्र में बंधा होता है जहाँ सुख मिलता है तो इतना मिलता है की वह कभी दुखी नहीं रहता और दुख मिलता है तो इतना मिलता है कि वह कभी सुखी नहीं रहता। इस समस्या को तो मानव खुद भी नहीं समझ पाता है, कि उसके साथ आखिर होता क्या है।

मानव सोचता है कि उसके जीवन में हर समय सुख क्यों नहीं होता है, दुख क्यों उसके जीवन में आचानक आ जाता है। वह इस बात को समझने में थोड़ी गलती कर देता है। उसके जीवन में दुख इसलिए आता है कि, यदि उसे जीवन में कभी भी दुख का सामना करना पड़े तो वो रोए न बल्कि हँसते होए दुख को काट ले। इंसान को कभी भी सुख दुख देखकर हँसना ( Hasna) नहीं चाहिए बल्कि अपने जीवन के हर एक पल को महसूस करके हँसना चाहिए।

 जीवन में हँसना (Hasna) रोना क्यों है जरूरी ?

जब किसी को उसके हद से ज्यादा मिल जाता है तो उसे वो पचा नहीं पता है। उसी प्रकार जब मानव को सुख ज्यादा मिल जाता है, तो वह किसी को भी अपने समान नहीं समझता है। वह समझता की अब उसकी बराबरी करने वाला कोई नहीं है। उसे एक प्रकार से घमंड आ जाता है। लेकिन वह यह भूल जाता है कि घमंड तो रावण का भी नहीं रहा था, तो वो तो एक साधारण मनुष्य है।

फिर उसके जीवन में घमंड का विनाश करने अचानक समस्या का प्रवेश हो जाता है। जो उसे उस हद तक गिरा देती है जहाँ की वह सोच भी नहीं सकता है। फिर वह रोने लगता है और पछताप करता है।  सुख में वह समाज को कुछ भी नहीं समझता था, लेकिन अब उसे समाज कुछ भी नहीं समझता है।

यदि मानव को एक बार दुख मिल जाये तो वह सब कुछ समझ जाता है की आखिर उसने क्या किया था, जो उसके साथ ऐसा हो रहा है। इसलिए अपने जीवन में हमेशा अच्छे कार्य करो ताकि दुख आने पर वह अच्छे कार्य जो अपने करे थे वह आपका साथ दे सकें।

साधारण बात यह है कि हँसना ( hasna) रोना तो सभी को है लेकिन ज्यादा हँसते हँसते इंसान पागल हो जाता है इसलिए भगवान उसे थोड़ा दुख देकर रुला देता है।

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समय के साथ साथ दुनिया भी बदलती जा रही है। अब मनुष्य के पास इतने साधन है कि वह कुछ भी नया (Naya) सीख और कर सकता है। लेकिन नहीं वह उन साधनों का फायदा ही नहीं उठाता है। आज का समय टेक्नोलॉजी का समय है। यह ऐसा समय है जिसमे हर एक मनुष्य अपने आप को बदल सकता है।

टेक्नोलॉजी के कारण अब तो कुछ भी नया (Naya) सीखा जा सकता है। लेकिन कुछ ही लोग होते है जो इस टेक्नोलॉजी का सही फायदा उठाते है। वह अपने समय को फालतू चीज़ में बर्बाद न करके उसके माध्यम से कुछ नया सीखते हैं। नया सीखकर मनुष्य खुद को ही विकसित करता है। वह इससे नया (Naya) ज्ञान प्राप्त करता है। जो उसने अभी तक अपने जीवन में किया ही नही था।

यदि एक विद्यार्थी हर वक़्त सिर्फ पढता रहता है। तो वह बेकार कहा जाएगा क्योंकि उसके पास ज्ञान तो है, परन्तु उस ज्ञान का कोई फायदा नहीं जो उसे सिर्फ़ किताबी दुनिया से मिला है। मनुष्य को ज्ञान सिर्फ किताबो से नहीं बल्कि और सारी चीजों से भी लेना चाहिए।

कुछ नया सीखें ?

कुछ नया सीखें ?
कुछ नया सीखें ?

हर दिन कुछ नया (Naya) सीखनें के लिए उपाय :

  • किताबों को पढ़े उनमे नई सीखों को खोजें
  • सोशल मीडिया पर नयी चीजों के बारे में जानकरी लेते रहें
  • नए नए अविष्कार करें
  • अपनी रूचि के मुताबिक कुछ नया सीखें
  • नई चीजों को दुराहते रहें

 कैसे नई सीखों को सीखें ?

कुछ नया (Naya) सीखने के लिए सबसे पहले अपनी खुभी को पता करो। यदि मनुष्य को अपनी खुभी नही पता तो वह उस कार्य को करे, जिसमे उसका मन करता की वह उस कार्य को करे। ताकि वह उस चीज़ का और भी ज्ञान प्राप्त कर सके, क्योंकि जो उसने अब तक सिखा था वह सिर्फ एक बेसिक था, परन्तु मैंन तो उसे अब सीखना है।

यदि एक विद्यार्थी कंप्यूटर सीखना चाहता है तो उसे सबसे पहले उसके बेसिक के बारे में पता होना चाइए, यदि वह बेसिक को न करके सीधे कंप्यूटर को सीखने लग जाता है। तो वह कभी भी कंप्यूटर नहीं सीख पाएगा।

ऐसे ही मनुष्य किसी भी नयी चीज़ को सीखने से पहले उसके बेसिक जान ले तो उसे उस नयी चीज़ को सीखने में कोई समस्या नहीं होगी। और वह उस चीज़ को अंत तक आसानी से समझ और कर पाएगा। और एक नया (Naya) ज्ञान प्राप्त करेगा।

क्या नई सीखें व्यर्थ है ?

कुछ लोगो का मानना होता है कि नई चीज़े सीखना उनके लिए व्यर्थ है। और वह उन्हें सीखते ही नहीं है। लेकिन जब किसी चीज़ को हम शुरु शुरु में करते है तो वो हमें थोड़ी बोरिंग लगती है, परन्तु धीरे धीरे हमारा उसमे मन लगने लग जाता है और हम उस चीज़ को करने के लिए और प्रेरित होते है।

नया (Naya) सीखना एक नई खोज की तरह होती है। यदि हम अपने जीवन में कोई चीज़ नई सीखते हैं तो इससे हमारा कोई नुकशान नही है। क्योंकि यह बात याद रखें कि ज्ञान कभी भी बेकार नहीं जाता है। वह नई चीज़ जो उसने सीखी है कही न कही उसके जीवन में अवश्य काम आएगी।

यह बात याद रखें कि खुद से लिया गया ज्ञान हमेशा काम आता है। हम नई चीजों को कभी भी सीख सकते हैं| क्योंकि वह हमारे आस पास के वातावरण में होती रहती है परन्तु हम उन पर ध्यान नहीं देते है। कभी भी कोई भी नहीं चीज़ सीखें तो हमेशा अपने दिमाग को खोले रखें।

FAQ

प्रश्न : कुछ नया सीखने का क्या मतलब है ?

उत्तर :  कुछ नया सीखने से हम अपने मस्तिष्क के भीतर नए शब्दों का मिलन करते हैं।

प्रश्न :  कुछ नया करना क्यों जरूरी है ?

उत्तर :  नया करने से हम जिज्ञासु बने रहते हैं।

प्रश्न : नई चीजों को सीखने के क्या लाभ होते हैं ?

उत्तर :  नई चीजों को सीखनें के कई लाभ होते हैं: स्मृति, मनोदशा और प्रेरणा में सुधार।

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मानव जिसे भगवान ने सबसे अलग और विचित्र बनाया है। वह हर चीज़ को देख और समझ सकता है। परन्तु फिर भी वह स्वयं (Swayam) को क्यों नहीं समझ पाता है। वह स्वयं को जानने में गलती क्यों कर देता है। ऐसा तो है नहीं कि मानव के पास दिमाग नहीं है और वो पागल है। कभी सोचा है कि ऐसा आखिर है क्यों ?

स्वयं (Swayam) को जगाने के लिए आत्मचेतना और आत्मविश्वाश की आवशयकता होती है। मनुष्य पागल नहीं है बल्कि उसे कोई समझाने वाला नहीं है। उसे कोई उसके क्ररिएर के बारे में गाइड करने वाला नहीं है। वह बस उसी धुन में लगा रहता है जिसके बारे में उसे कहा जाता है। ऐसा करके वह अपने टैलेंट को गवा बैठता है। जो उसके अंदर खुद ही पैदा हुआ था। टैलेंट हर एक मनुष्य के अंदर होता है चाहे वह पागल ही क्यों न हो। टैलेंट से मनुष्य वहां तक पहुच गया है जहाँ की वह सोच भी नहीं सकता था।

स्वयं (Swayam)  को जानना क्यों है जरूरी ?

एक लड़का था, उसका नाम राहुल था। उसकी उम्र ग्यारह साल थी। राहुल बहुत शैतान लड़का था। उसकी आदत थी की वह कभी भी किसी चीज़ को सीरियस नहीं लेता था। जिस कारण उसके माता पिता भी उससे काफी परेशान रहते थे। अब वक़्त बीतता गया और राहुल बड़ा हो गया, और उसकी पढाई पूरी हो चुकी थी। अब उसके माता पिता को यह चिंता थी कि अब वह आगे क्या करेगा।

कुछ समय बाद राहुल को एक जॉब का ऑफर आया, उसने यह बात अपने माता पिता को बताई। यह सुनकर उसके माता पिता खुश तो हुए पर चिंतित थे कि क्या उनका बेटा यह जॉब हासिल कर पाएगा। राहुल फूले नहीं समा रहा था। अगले दिन राहुल जॉब का इंटरव्यू देना ऑफिस पंहुचा। वहां जाकर उसने देखा कि काफी लोग जॉब के इंटरव्यू के लिए आए है। उन्हें देखकर वह थोडा गबहरा गया था। पर उसे लगता था कि उसे यह जॉब जरूर मिलेगी।

जब राहुल का नंबर आया तो राहुल ख़ुशी ख़ुशी अंदर गया। अंदर जाकर वह अपने बॉस के सामने बैठ गया। जहां उससे मात्र तीन सवाल पूछे गए। दो सवालों के जवाब तो राहुल ने सही सही दिये थे। फिर उसको लगने लगा कि अब उसकी जॉब  पक्की है, यह सोचकर राहुल बहुत खुश था। लेकिन जब तीसरा सवाल पूछा  गया तो वह मायूस हो गया क्योंकि उसको इसका जवाब नहीं पता था। सवाल था कि वह किस चीज़ में होनर रखता है। राहुल को खुद नहीं पता था कि वह किस चीज़ में होनर रखता है।

क्योंकि उसने अपना जो कीमती समय था , जिस समय में वह खुद को जान सकता था वह उसने शैतानी में बिता दिया। थोड़ी देर बाद जब राहुल जवाब नहीं दे पाया तो उसे यह कहकर निकाल दिया की वह अपना होनर नहीं जनता तो वह उस पर कैसे विश्वाश कर ले कि वह उसके दिए गए कार्य को कर सकता है। राहुल मायूसी के साथ ऑफिस से बाहर निकला। और अपने घर गया। घर पहुचकर उसने यह सारी बात अपने माता पिता को बताई।

जिसके बाद उन्होंने कहा कि यदि वह समय रहते सुधर जाता और अपने होनर को खोजता और उस पर पूरी लगन से काम करता तो उसे यह मायूसी नहीं होती। राहुल को माता पिता कि यह बात अब सही लगने लगी थी और वह उसका पछतावा भी कर रहा था। अब आप स्वयं (swayam) ही सोचिए कि आप राहुल जैसा बनना चाहेगे ,या समय रहते स्वयं (swayam) में परिवर्तन लाकर खुद को समझकर अपने ऊपर मेहनत करना चाहेगे।

स्वयं को  कैसे जाने?

  • स्वयं (Swayam) के लिए समय निकालें
  • अपनी क्षमताओं को पहचानें
  • अपनी कमियों को पहचानें
  • अपनी आदतों को पहचानें
  • अपने मन पर ध्यान दें
  • दूसरों की राय लें
  • अपनी सफलता और असफलताओं को देखें

स्वयं (Swayam) को जानकर मनुष्य बहुत फायदा कर सकता है। क्योंकि जब तक वह स्वयं को जानेगा नहीं तब तक वह किसी कार्य को समझ नहीं पाएगा। क्योंकि जिस चीज़ का उसमे होनर है यदि वह उसको छुडकर दूसरे कार्य को करेगा तो वह उसे कर ही नहीं पाएगा। और एक असफल व्यक्ति कि तरह जीवन बिताएगा। कभी भी स्वयं (Swayam) को व्यक्त करने से डरो मत, भले ही आपके विचार दूसरों से अलग हों ।

FAQ

प्रश्न : स्वयं को जानना क्या है ?

उत्तर : स्वयं को जानना एक अभ्यास है, अपनी कमियों को दूर करने का और अपनी अच्छाईयों को आगे कर जीवन के लक्ष्य को पाने का स्वयं               को जानने वाला मनुष्य कभी हार नहीं सकता है।

प्रश्न : स्वयं को जानना क्यों आवश्यक है ?

उत्तर : मैं हूं कौन  अगर यह स्पष्ट हो जाए तो हम अपनी क्षमताओं को देख सकते हैं और उस क्षमता के आधार पर हम एक बेहतर भविष्य का             निर्माण कर सकते हैं।
प्रश्न : स्वयं को जानने के लिए कौन सी मनोवृत्ति दिखानी चाहिए ?
उत्तर : गैर-न्यायिक और निष्पक्ष

Aalas Ko Dur Kaise Karein : आलस को दूर कैसे करें ? अपनाएं 3 सटीक उपाय जीवन में

मैं कौन हूं? स्वयं को कैसे जानें

Aalas Ko Dur Kaise karein ke 2 Best Ideas : आलस को दूर कैसे करें के 2 सर्वश्रेष्ठ विचार ?

आज के इस बदलते युग में लोग बदलते जा रहे है। वह इतने बदल गए है कि वह बाहर से स्वस्थ तथा अंदर से नई बीमारी को उत्पन्न कर रहे हैं। वह बीमारी है आलस (Aalas)। जिसे मनुष्य बढ़ते समय चक्र के साथ बढाता जा रहा है। आलस मनुष्य के शरीर में विटामिन-डी की कमी से भी होता है। इसका उसे अंदाज भी नहीं है कि ये बीमारी उसके विनाश तक उसके साथ रहेगी।

यदि मनुष्य का एक बार विनाश हो जाए तो दुबारा खुद को सही पथ पर लाने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है। जो की कभी संभव नहीं है क्योंकि आलस (Aalas) नाम की बीमारी उसे जकड़े बैठी है। यदि एक बार कोई बीमारी जकड ले तो उसे मिटाने में काफी कसरत लगती है। ऐसे ही आलस को भी मिटाने में भी काफी परिश्रम लगता है। लेकिन जब होसला बुलंद हो तो मनुष्य किसी भी बीमारी का अंत कर सकता है।

आलस (Aalas) क्यों न करें ?

आलस (Aalas) करना बुरा नहीं है। ये सामान्य बात है कि आलस सब लोग करते हैं।  परन्तु एक सीमा तक आलस सही लगता है। वरना उसके बाद उसके दुष्प्रभाव दिखने लगते है। इससे मनुष्य के शरीर पर ऐसा प्रभाव पड़ता है कि वह हर कार्य को करने में निंदा प्रकट करता है। उसे हर वक्त आराम करने कि सूजती रहती है। आलस के कारण वह हर वक़्त सोता रहता है।

ज्यादा सोना किसी भी मनुष्य के शरीर एवं दिमाग के लिए बिलकुल ठीक नहीं है। इससे उसके शरीर में बीमारियों का उत्पन होना शुरू हो जाता है। जो कि उसके दिमाग पर जाकर सीधा असर करता है। इससे मनुष्य का तेज दिमाग कम सोचने लगता है जिस कारण उसके सोचने की शक्ति भी कम हो जाती है।  इतना ही नहीं ज्यादा आलस (Aalas) करने से आपकी दिनचर्या भी बिगड़ जाती है।

आलस को कैसे छोड़े ?

यदि मनुष्य ज्यादा आलस (aalas) करता है और उसे छोड़ना चाहता है। तो उसे सबसे पहले नियमित रूप से व्ययाम करना चाहिए। दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए सुबह सुबह घूमने जाना चाहिए। ताकि आपके मन और दिमाग को शांति मिले। अपने भोजन पर काबू रखे ज्यादा न खाए ताकि आपको नीद एवं आलस न आए। अपनी दिनचर्या में कभी भी फ्री न बैठे स्वयं को किसी न किसी कार्य में लगाये रखे। इससे आप अपने कार्यो में व्यस्त होने के कारण उनमें लगे रहोगे और आलस नहीं करोगे।

दिन में दो घंटे सोने का नियम बना ले ताकि आपको थोडा आराम महसूस हो सके और आप अपने कार्यो को मन लगाकर कर सकें।  कभी भी किसी आरामदायक चीज़ का सहारा लेकर कार्य न करे। क्योंकि इससे आपको आलस आएगा और आप उस कार्य पर ध्यान नहीं  दे पायेंगे।लोग अक्सर आलस को दूर भगाने के उपाय ढूंढते रहते हैं। आलस को दूर करने के कुछ उपाय निम्न हैं –

  • थोड़ी देर नियमित व्यायाम करें
  • खाने में हल्की डाइट शामिल करें
  • समय पर सोने की आदत डालें

 यदि मनुष्य अपने जीवन में थोडा भी बदलाव लाता है, तो इससे वो आलस (Aalas) ही नही किसी भी बुरी आदत को हरा सकता है।  हमेशा याद रखें  कि आलसी व्यक्ति का न वर्तमान होता है न ही भविष्य।  जो लोग जीवन को आनंद के रूप में, ऐश्वर्य के रूप में, सफलता के रूप में और संगीत के रूप में स्वीकार करते हैं, उनका जीवन आनंदमय हो जाता है। ऐश्वर्यमय हो जाता है। संगीतमय हो जाता है। दूसरी ओर ऐसे भी लोग हैं, जो जीवन को निराशा, असफलता और विपत्ति के रूप में स्वीकार करते हैं, लिहाजा उनका जीवन आंसू बनकर बह जाता है।

FAQ

प्रश्न : आलस मनुष्य का सबसे बड़ा क्या है?

उत्तर : आलस को आमतौर पर इंसान का सबसे बड़ा शत्रु कहा जाता है, क्योंकि शरीर में आलस आने से कई बनते बनते काम बिगड़ जाते हैं।

प्रश्न : ज्यादा आलस आने का क्या कारण है?

उत्तर : बदलते मौसम में शरीर में कफ बढ़ने लगता है. बढ़ा हुआ कफ शरीर में भारीपन बढ़ाता है और इससे आलस की समस्या होने लगती है।

प्रश्न : किस विटामिन की कमी से आलस्य होता है?

उत्तर : विटामिन

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आज के समय में लोगों को अपने मन को शांत (Shant) रखने कि बहुत आवश्यकता है। उनके स्वभाव में  बहुत परिवर्तन आ गया है। उनका व्यवहारिक स्वभाव अब काफ़ी बदल चुका है। मनुष्य को हर छोटी से छोटी बात पर क्रोध आ जाता है। उसका यही क्रोध उसके लिए एक नई परेशानी खड़ी कर देता है, जिसका उसे बाद में पछतावा होता है।

क्रोध आने पर मनुष्य भूल जाता है कि आखिर वो है क्या, उसको कुछ भी नही सूझता है। वह अपने मन की न सुनकर अपने दिमाग की सुनता है। यह साधारण बात है कि जो चीज क्रोध में आकर की जाती है वह हमेशा नुकसान पहॅुचाती है। इसलिए हमेशा शांत (Shant) मन से सोच समझकर कार्य करने चाहिए।

शांत (Shant) शब्द को समझें

शांत एक ऐसा शब्द है, जिससे मनुष्य अपने हर बिगड़े काम को आसानी से बना लेता है। वह कभी भी जल्दबाजी नहीं करता है। शांत (Shant) रहने से मनुष्य हर मुश्किल कार्य को आसान बना लेता है। जो अशांत व्यक्ति होता है वह कभी भी कोई कार्य ठीक से नहीं कर पाता है। वह हर कार्य में कोई न कोई गलती कर देता है।

रामायण की कथा में जब श्रीराम से परशुराम का शिव धनुष टूटा था। तब परशुराम क्रोधित होते होए उनके पास पहुंचे थे। तब लक्ष्मण ने उनका जो अपमान किया था। जिससे वह और क्रोधित हो गए थे। श्रीराम उनके क्रोधित होने पर भी कोई भाव प्रकट नहीं कर रहे थे, क्योंकि श्रीराम शांत (Shant) और धैर्यवान थे। वहीँ लक्ष्मण उग्र और साहसी थे।

यदि श्रीराम कुछ भी बोलते तो इससे परशुराम का क्रोध और बढ जाता, लेकिन श्रीराम ने शांत (Shant) मन से बात करके परशुराम के क्रोध को शांत कर दिया। जबकि लक्ष्मण जी के शब्दों ने आग में घी का काम किया। इससे पता चलता है कि श्रीराम सामने वाले के क्रोधित होने पर खुद शांत रहकर बात को बढने नहीं देना चाहते थे। अतः सभी मनुष्यों को श्रीराम जैसे धैर्यवान और शांत रहकर अपने  कार्य करने चाहिए।

शांत मन कैसे बनायें ?

मनुष्य को शांत (Shant) मन बनाने के लिए कोई कठिन परिश्रम नहीं करना पड़ता है। इसके लिए उसे बस थोड़े अशांत मन को शांत करने कि जरूरत है। उसे अपनी इन्द्रियों पर पूरा काबू रखना होता है। जिससे उसका मन शांत (Shant) रहता है। यदि आप किसी की दो बाते सुन ले तो कभी भी गुस्सा न करे उसे काबू करने की कोशिश करे। याद रखें कि मन तभी शांत होता है जब आप शांत रहते है। हमेशा अपने आप पर नियंत्रण रखें ताकि कोई आपको अशांत न कर सके।

कुछ लोगों का स्वभाव ऐसा होता कि वह हर छोटी बात पर क्रोध कर बैठते है। उन्हें जब तक चैन नहीं पड़ता है जब तक वह अपने मन की बात सामने वाले को कह नहीं लेते। इससे उनकी बात और बढ़ जाती है जिसका वह बाद में पछतावा करते है। यदि उस बात को बढ़ाना नहीं है तो इसके लिए अपनी बुद्धि का प्रयोग करें और सोच समझकर बात करें। मनुष्य को परिस्थिति अनुसार अपने मन और दिमाग का प्रयोग करना चाहिए।

दिमाग काबू में करने के उपाय (Man Ko Shant Kaise Karen) –

  • अपनेआप से प्यार करें – Love Yourself
  • श्वास व्यायाम – Meditation
  • हमेशा खुश रहें – Be Happy
  • सकारात्मक सोचें – Think positively
  • शारीरिक व्यायाम – Physical exercise
  • पूरी नींद लें – Get Enough Sleep
  • अपनेपसंद के गाने सुनें – Listen Favourite Songs

शांत मन बनाये रखने के फायदे

यह तो मामूली सी बात है कि जिस चीज़ के दुश्प्रभाव अनेक हैं उसकी प्रकार चीज़ के फायदे भी अनेक होते हैं। ऐसे ही शांत मन रखने के अनेक फायदे हैं।

  • सुखी जीवन
  • व्यावारिक स्वभाव
  • क्रोध न आना
  • इन्द्रियों पर पूरा काबू

ऐसे और अनेक फायदे हैं, यदि आप अपने मन को शांत (Shant) रखते हैं। अगर मनुष्य चाहता है कि उसे शांत जीवन व्यतीत करना है तो उसके लिए उसे थोडा धैर्य रखना आवश्यक है। शांत मन रखने से मनुष्य अपने समाज मे भी अच्छा दिखता है। इससे आप एक सुखी और खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकते है।

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आजकल के युग मे मनुष्य किसी न किसी विपत्ति से गुजर रहा है। वह इन विपत्तियों के हल निकालने में इतना व्यस्त हो जाता है कि स्वयं के कार्यो को अस्त व्यस्त (Messy) कर देता है। जिसका वह बाद में पछतावा करता है कि यदि वह उस समय अपने कार्यो को देख लेता तो इतना परिश्रम नहीं करना पड़ता। यदि मनुष्य को अपने कार्यो को अस्त व्यस्त नहीं करना है तो उसके लिए उसका व्यवस्थित रहना जरूरी होगा। यदि मनुष्य को अपने कार्यो को सही समय पर करना है तो उसके लिए उसे तीन कार्यो को करने का संयम रखना होगा ताकि वह आगे जाकर उस कार्य पर सफलता प्राप्त कर सके।

Messy Life
Messy Life

समय को अस्त व्यस्त (Messy) न करके उसका सही उपयोग करना

मनुष्य कहीं न कहीं विपत्तियों के कारण अपने कार्यो में व्यस्त रहता है। उसके पास खुद के लिए समय नहीं रहता है और अपने जीवन को अस्त व्यस्त (Messy) कर देता है। समय न रह पाने के कारण वह किसी भी कार्य को नहीं कर पाता है और फिर तनाव महसूस करता है। यदि वह इस तनाव को दूर करना चाहता है तो इसके लिए उसे समय का सही उपयोग करना होगा ताकि वह हर कार्य को समाप्त कर सके।

मनुष्य को अपने हर कार्य को समय के अनुसार करना चाहिए। उसे हर एक कार्य के लिए एक समय देना चाहिए और उसे उसी समय तक समाप्त करने का पूरा प्रयास करना चाहिए। मनुष्य को किसी भी कार्य को एक साथ नहीं करना चाहिए इससे कार्य कभी समाप्त नहीं हो पाता है। हमेशा हर कार्य को करने के लिए ऐसी कोशिश करनी चाहिए कि समय आप पर नहीं आप समय पर राज करें।

किसी कार्य में हार न मानना

हार एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर या देखकर हर कोई मायूस हो जाता है। जिस कारण वह सोच नहीं पाता है कि अब उसे क्या करना चाहिए। फिर वह उस काम को करता ही नहीं है। ज्यादातर मनुष्य ऐसे ही होते है जो एक बार हार मानकर दोबारा प्रयास ही नहीं करते और अपने जीवन को अस्त व्यस्त (Messy) कर देते हैं।

मानव को खुद सोचना चाहिए कि यदि वह उस काम को पूरे मन से करता और पूरी मेहनत करता तो वह अवश्य सफल होता। क्योंकि “लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती कोशिश करने वालों की हार नहीं होती”। यदि मनुष्य के इरादे नेक हों तो वह किसी भी ऊँचाई को छू सकता है। जीत हमेशा उसी को मिलती है जो कभी रोता और सोता नहीं है। जीवन में उतार चढ़ाव तो मामूली चीज़ है। अगर हम इनसे हार मानने लगे तो हम कभी भी अपने कार्यो को समाप्त नहीं कर पायेंगे।

जल्दबाजी नहीं करना

हर मानव एक ही गलती को दोहराता रहता है लेकिन कभी भी यह जानने कि कोशिश नहीं करता कि यह गलती मुझसे आखिर हुई क्यों ? आज के युग में हर कोई कार्य को जल्दी समाप्त करने की सोचता है और अपने कामों को अस्त व्यस्त (Messy) कर देता  है। लेकिन जल्दबाजी के कारण उसके कार्य में कोई न कोई गलती हो ही जाती है। जिस कारण उसे वह कार्य फिर से करना पड़ता है।

इन सबका सिर्फ एक ही कारण है कि किसी कार्य को जल्दी करने कि कोशिश करना। हर कार्य जल्दी का नहीं होता है। हर कार्य को करने के अपने तरीके होते है। जो कार्य शांत मन से किया जाता है वह कभी भी गलत नहीं होता है। किसी भी कार्य को करने के लिए धैर्य रखना आवश्यक है।

अगर मनुष्य को अपने जीवन में सफलता हासिल करनी है। अपने लक्ष्य तक पहुंचना है तो इन तीन कार्यो को सच्ची निष्ठा से करने से वह किसी भी मंजिल को हासिल करने का हौसला रख सकता है। हमेशा याद रखे कि मेहनत से किया कार्य कभी भी बेकार नहीं होता है।