हँसना ( Hasna) और रोना मानव अपने जीवन में सुख और दुख आने पर करता है क्योंकि भगवान ने उसे सारे जीवों से अलग बनाया है। मानव का जीवन जब सुखी होता है तब वह हँसता है, और जब दुखी होता है तब वह रोता है। हँसना ( Hasna) और रोना तो मानव जीवन का एक खेल है, जो उसके साथ अंत तक रहता है। इसलिए मानव को अपने जीवन में आने वाले सुख दुख को स्वीकार कर जीवन जीना चाहिये।
मानव हँसता और रोता क्यों है ?
मानव हँसता और रोता क्यों है ?
अधिकतर मानवों के साथ यह होता है, की जब तक उनके जीवन में सुख है उसे किसी भी कार्य में परेशानी नहीं है। तब तक वह अपना जीवन हँसते खेलते गुजारता है। उसे किसी भी तरह कि समस्या नहीं होती है।
लेकिन जब मानव के जीवन में समस्या का पहाड़ अचानक टूट पड़ता है, तुरंत वह रोने लग जाता है। जब उसे लगने लगता है कि उसके हाथ में अब कुछ नहीं रहा है। तब वह भगवान को याद करता है उससे विनती करता है कि उसके जीवन में फिर से सुख आ जाए। इंसान वह प्राणी जो सुख में रोता नहीं है, और दुख में हँसना ( Hasna) नहीं चाहता। यदि इंसान को सुख में थोडा दुख मिल जाता तो वह कभी भी दुखी नहीं रहेता।
कभी कभी हँसना (Hasna) रोना क्यों ?
जैसे खेल में कब क्या हो जाए किसे को पता नहीं रहता, उसी प्रकार मानव के जीवन में उसके साथ कब क्या हो जाए उसे भी पता नहीं रहता। मानव का जीवन एक ऐसे चक्र में बंधा होता है जहाँ सुख मिलता है तो इतना मिलता है की वह कभी दुखी नहीं रहता और दुख मिलता है तो इतना मिलता है कि वह कभी सुखी नहीं रहता। इस समस्या को तो मानव खुद भी नहीं समझ पाता है, कि उसके साथ आखिर होता क्या है।
मानव सोचता है कि उसके जीवन में हर समय सुख क्यों नहीं होता है, दुख क्यों उसके जीवन में आचानक आ जाता है। वह इस बात को समझने में थोड़ी गलती कर देता है। उसके जीवन में दुख इसलिए आता है कि, यदि उसे जीवन में कभी भी दुख का सामना करना पड़े तो वो रोए न बल्कि हँसते होए दुख को काट ले। इंसान को कभी भी सुख दुख देखकर हँसना ( Hasna) नहीं चाहिए बल्कि अपने जीवन के हर एक पल को महसूस करके हँसना चाहिए।
जीवन में हँसना (Hasna) रोना क्यों है जरूरी ?
जब किसी को उसके हद से ज्यादा मिल जाता है तो उसे वो पचा नहीं पता है। उसी प्रकार जब मानव को सुख ज्यादा मिल जाता है, तो वह किसी को भी अपने समान नहीं समझता है। वह समझता की अब उसकी बराबरी करने वाला कोई नहीं है। उसे एक प्रकार से घमंड आ जाता है। लेकिन वह यह भूल जाता है कि घमंड तो रावण का भी नहीं रहा था, तो वो तो एक साधारण मनुष्य है।
फिर उसके जीवन में घमंड का विनाश करने अचानक समस्या का प्रवेश हो जाता है। जो उसे उस हद तक गिरा देती है जहाँ की वह सोच भी नहीं सकता है। फिर वह रोने लगता है और पछताप करता है। सुख में वह समाज को कुछ भी नहीं समझता था, लेकिन अब उसे समाज कुछ भी नहीं समझता है।
यदि मानव को एक बार दुख मिल जाये तो वह सब कुछ समझ जाता है की आखिर उसने क्या किया था, जो उसके साथ ऐसा हो रहा है। इसलिए अपने जीवन में हमेशा अच्छे कार्य करो ताकि दुख आने पर वह अच्छे कार्य जो अपने करे थे वह आपका साथ दे सकें।
साधारण बात यह है कि हँसना ( hasna) रोना तो सभी को है लेकिन ज्यादा हँसते हँसते इंसान पागल हो जाता है इसलिए भगवान उसे थोड़ा दुख देकर रुला देता है।
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