आखिर क्यों किया आरबीआई ने 2000 के नोट को प्रचलन से बाहर
आखिर क्यों एक बार फिर आरबीआई ने 2000 के नोट को प्रचलन से बाहर करने का फैसला लिया। इसको लेकर तरह तरह के सवाल लोगों के जहन में घूम रहे हैं लेकिन इन सवालों के जबाब किसी के पास पूर्ण तथ्यों के साथ नहीं हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक ने अचानक ही 2000 के नोट को चलन से बाहर करने का आदेश जारी कर सबको चौका दिया है। हालाँकि आरबीआई ने 2018-19 में ही दो हजार रुपये के नोट को छापना बंद कर दिया था। आदेश के अनुसार सितंबर तक ये नोट वैध रहेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को सलाह दी है कि वे तत्काल प्रभाव से दो हजार रुपये के नोट को ग्राहकों को जारी करना बंद कर दें।
आरबीआई ने कहा कि 30 सितंबर तक ये नोट सर्कुलेशन बने रहेंगे। इस बीच 23 मई से लेकर ३० सितम्बर तक बैंक से नोट को बदला या जमा किया जा सकता है। बैंक से एक बार में 2000 नोट के 20000 रुपये बदले या जमा किये जा सकते हैं यानी जिनके पास इस समय दो हजार रुपये के नोट्स हैं, उन्हें बैंक से एक्सचेंज करना होगा। बता दें कि 8 नवंबर 2016 की मध्य रात्रि में नोटबंदी के बाद 2000 हजार रुपये का नोट प्रचलन में लाया गया था। नोटबंदी में 500 और 1000 रुपये के नोट बंद कर दिए गए थे।
भारतीय रिजर्व बैंक के इस फैसले को लेकर राजनैतिंक पार्टियों के पदाधिकारियों के विचार भी अलग है उनके हिसाब से 2000 रुपये के नोट का प्रचलन से वाहर करना जनता के हित में नहीं है। कितना रुपया इन नोटों को प्रिंट करने में खर्च हुआ, वह सब व्यर्थ है। भारतीय रिजर्व बैंक ने आखिर पहले क्यों इन नोटों को प्रिंट किया और प्रचलन में लेकर आयी फिर क्यों बंद किया। यह सब अनसुलझे सवाल है।
आखिर आरबीआई ने ऐसा क्यों किया? इसके पीछे केंद्र सरकार की क्या मंशा है? समझाने की कोशिश करते हैं…
बहुत से लोगों से अलग अलग बात करने पर बहुत सारी बातें सामने आयीं लेकिन हम यह कह नहीं सकते कि क्या सही है और क्या गलत….
- कुछ लोगों का कहना हैं कि यह सब तो बहाने हैं जब 2000 का नोट जारी हुआ था हमने तो तभी कह दिया था कि आगे चलकर सरकार यह नोट बंद करेगी और आज हमारी बात सही हो गयी लेकिन कारण नहीं पता।
- कुछ लोगों का कहना हैं कि सरकार ने रणनीति के तहत कम किया है और अब वह अपनी उस रणनीति को अमलीजामा पहना रही है जिससे कि नोट बंदी का जो उद्देश्य था वह पूरा हो जाये।
- कुछ लोगों का कहना है कि 2000 रुपये के नकली नोट बाज़ार में प्रचलन में आ गए थे। इसलिए सरकार ने यह फैसला लिया है और नकली नोट का व्यापर करने वालों की कमर टूट जाएगी।
- कुछ लोगों का मानना है कि बड़ी करेंसी होने के कारण 2000 के नोट का देश विरोधी गतिविधियों में होना आसान था इसलिए शायद सरकार ने इस तरह का कदम उठाया है। जिससे इन देश विरोधी गतिविधियों पर भी अंकुश लगेगा।
- कुछ लोगों का कहना है कि सरकार ने कालाधन रखने वालों कि कमर तोड़ने के लिए यह आदेश जरी किया है। जिसके कारण कालाधन रखने वाले लोगों पर अंकुश लगेगा और अब उन्हें आसानी से चिन्हित किया जा सकेगा। हालाँकि आम आदमी के पास 2000 के नोट न के बराबर है उन्हें कोई नुकसान नहीं है।
- राजनैतिक पार्टियों के पदाधिकारियों का कहना है कि 2000 के नोट को प्रचलन से वाहर करना उचित नहीं है। सरकार का बार बार इस तरह के कदम उठाना देश हित में नहीं है। पहले नोट बंदी कर सरकार ने कितना कालाधन जब्त किया सरकार ने आज तक नहीं बताया। अब कितना अंकुश सरकार काले धन पर लगा पायेगी यह आप पुराना इतिहास उठा कर देख लो। सरकार के इस तरह से कदम उठाना सरकार कि दूर दर्शिता को नहीं दर्शाता है।
- व्यापारियों से बात करने पर उन्होंने बताया कि पहले कि नोट बंदी के बाद बहुत समय तक व्यापारियों को बहुत परेशानियों को झेलना पड़ा था अब पता नहीं कितने दिनों तक फिर उन्ही समस्याओं को झेलना पड़ेगा।